अकेले पथ का पेंशन साथी, कोई कमी न कभी सताती, अकेले पथ का पेंशन साथी, कोई कमी न कभी सताती,
कौन प्रयोजन रहा कि तुमने ऐसा खेल रचाया है कौन प्रयोजन रहा कि तुमने ऐसा खेल रचाया है
मुझे आप अपने दिल में बसने दो बस दो पल मुझे भी आज मुझे आप अपने दिल में बसने दो बस दो पल मुझे भी आज
फिर बहुत दूर के रिश्तेदार मिले, जो दूर रहकर भी बिल्कुल अपने पास हुए। फिर बहुत दूर के रिश्तेदार मिले, जो दूर रहकर भी बिल्कुल अपने पास हुए।
खुद का दुख भूल कर हमें सुकून दिया है इन्होंने, खुद का दुख भूल कर हमें सुकून दिया है इन्होंने,
प्रेम का ये अनोखा एहसास सुरूर बनकर मेरे जेहन में छाया। प्रेम का ये अनोखा एहसास सुरूर बनकर मेरे जेहन में छाया।